कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से क्या तात्पर्य है?

कवयित्री का ‘घर जाने की चाह’ से तात्पर्य है ईश्वर से मिलन, इस भवसागर से मुक्ति पाकर अपने ईश्वर की शरण में जाना। वह परमात्मा की शरण को ही अपना वास्तविक घर मानती है और यही उसके घर जाने की चाह का अभिप्राय है|


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